चमकते सूरज और सुलगती ज़मीन के बीच
मग्न था वो बाड़ लगाने में
पसीने बदन से रिशने के पहले ही
सूरज की तपती किरण में सूख रहें थे ।
मगर बाहर के आग से ज्यादा
उसे पेट की आग सता रही थी
दोपहरी बीतने को थी और
मंगलू की माँ अब तक नहीं लायी थी खाना ।
तबियत भी कुछ ढीली थी आज,
पर बाड़ लगाना ज़रूरी था
अब रात भर रखवाली भी तो नहीं होती
उन भेड़ियो से जो रौन्द देते हैं सारी फसल ।
तभी एक पथराई हुई सी आवाज़ सुनाई दी
"बंद करो ए बाड़ वाड़ लगाना और खाना खा लो",
"मेरे मरने के बाद ही लाती" झुझुलाते हुए पलटा था वो,
"मै कोई सोयी नहीं थी, शहर से बाबू आये थे,
ज़मीन अधिग्रहण के पन्ने पर अंगूठा लेने "
खाना निचे रखते हुए बोली
"इस्पेसल इकोनोमिक ज़ोन बनेगा हमारी खेतो पर
और दिन भर धूप में देह तपाने की भी जरूरत नहीं है अब,
नाईट वाचमैन की नौकरी का भी वादा किया है बाबू ने "
अवाक् सा फटी आखो से देख रहा था वो
अपनी ज़मीन के इर्द-गिर्द भेड़ियो के पांवो के निशान ।
-चंचल प्रकाशम्
मग्न था वो बाड़ लगाने में
पसीने बदन से रिशने के पहले ही
सूरज की तपती किरण में सूख रहें थे ।
मगर बाहर के आग से ज्यादा
उसे पेट की आग सता रही थी
दोपहरी बीतने को थी और
मंगलू की माँ अब तक नहीं लायी थी खाना ।
तबियत भी कुछ ढीली थी आज,
पर बाड़ लगाना ज़रूरी था
अब रात भर रखवाली भी तो नहीं होती
उन भेड़ियो से जो रौन्द देते हैं सारी फसल ।
तभी एक पथराई हुई सी आवाज़ सुनाई दी
"बंद करो ए बाड़ वाड़ लगाना और खाना खा लो",
"मेरे मरने के बाद ही लाती" झुझुलाते हुए पलटा था वो,
"मै कोई सोयी नहीं थी, शहर से बाबू आये थे,
ज़मीन अधिग्रहण के पन्ने पर अंगूठा लेने "
खाना निचे रखते हुए बोली
"इस्पेसल इकोनोमिक ज़ोन बनेगा हमारी खेतो पर
और दिन भर धूप में देह तपाने की भी जरूरत नहीं है अब,
नाईट वाचमैन की नौकरी का भी वादा किया है बाबू ने "
अवाक् सा फटी आखो से देख रहा था वो
अपनी ज़मीन के इर्द-गिर्द भेड़ियो के पांवो के निशान ।
-चंचल प्रकाशम्
sahi be!!
ReplyDeleteImpressive... choti se pankati me tumne bohot kuch kah daala... :)
ReplyDeleteits just too good
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