Monday, May 7, 2012

अवस्था




















मैंने बहुत कोशिश  की

तुमसे दूर जाने की

पर हर बार जब भी

सैकड़ो मिल दूर

चलने  के बाद

वापस मुड़ का देखता हूँ,

तो खुद को तुम्हारे

उतने ही करीब पता हूँ |




या तो तुम्हारे समीप

वृत्त की परिधि

बन गया हूँ  मै ,

या इस सफ़र में तुम भी

मेरे साथ चल रही हो

समान दुरी बनाये हुए |



- चंचल  प्रकाशम्  





2 comments: