
समंदर को पार करने की ख्वाहिश में
उम्मीदों की एक किश्ती बनायीं थी
आत्मविश्वास के झोको ने धक्का भी लगाया था
दुआओं की लहरें भी सफ़र का सहारा बनी थी
डगमगाते हीं सही पर किस्ती बढ़ चली थी ।
किनारों का शोर और कोलाहल छूट चूका था
मन...
Its vividly clear