Saturday, February 18, 2012

उम्मीदों की किश्ती

समंदर को पार  करने की  ख्वाहिश में उम्मीदों की एक किश्ती बनायीं थी  आत्मविश्वास के झोको ने धक्का भी लगाया था  दुआओं  की लहरें भी सफ़र का सहारा बनी थी  डगमगाते हीं सही पर किस्ती बढ़ चली थी । किनारों का शोर और कोलाहल छूट चूका था  मन...

Wednesday, February 8, 2012

यादें

पलक झपकाते हीं तेरा चेहरा नज़र आता है नींद उड़ जाती है बस ख्वाब रह जाता है, ख्वाबों की फंखुडिया समेटते समेटते, सवेरा हो जाता है, और सुबह की हकीकत हृदय को अंधकार में धकेल देता है | ये अँधेरा भी अजीब है सब कुछ दिखता है इसमें जो न देखना चाहो उसकी चमक और भी प्रबल होती है, अँधेरे की चमक से व्याकुल आँखे, आँसू की नदियाँ बहाती है, और उन आँसू की नदियों से बने समंदर में दिल डूब सा जाता है | सुनामी...