काली रातों में टिमटिमाते तारे ऐसे लगते हैं जैसे
हकीकत के समंदर में ख़्वाबो के टापू ।
तारों के होने से रोशनी तो नहीं मिलती मगर
रोशनी होने का एह्शाश जरूर हो जाता है ।
ख्वाबो में रहकर हकीकत से छुटकारा तो नहीं मिलता
मगर खुशनुमे हकीकत का एक नजारा जरूर मिल जाता है ।
अंधरे - रोशनी , ख़्वाब - हकीकत इनकी जद्दो जिहद में
जिंदगी का कारवाँ आगे निकल ही चलता है ।
सवालों की गर्मी और जवाबों...