Saturday, March 23, 2013

मिनरल वाटर

कच्ची सड़क से धूल उड़ाते हुए गुजरते
कार के शीशे से बाहर फेंके जाने पर
उसे अहसास हुआ कितनी गर्मी है बाहर,
शायद वातानुकूलित पिंजड़े के अंदर
सूरज की भी मर्ज़ी नहीं चलती |

कारों का काफिला गुजरने और
धूल का गुबार पसरने के बाद उसे दिखा
सुखतीं फसलें , फसलों को आशाहीन नजरों
से देखते किसानो के सपाट चेहरे के पीछे
छिपा हुआ दर्द और उनके मुरझाए हुए सपने  |

उसने अनुमान लगाया शायद यही है
ड्राउट प्रोन कंट्रीसाइड,
जिसके बारे में कार के अन्दर के लोग बात कर रहे थे
घिन आने लगी थी उसे अपने बोतल में कैद जिंदगी से  |

कुछ कर गुजरने की तमन्ना लिए
कर दिया खुद को समर्पण
सूरज की किरणों के सम्मुख |

भाप बन उड़ चला था गगन को चूमने
ठंडक और सुकून था ऊपर की हवावों में
बस अगर कुछ नहीं था, तो वो थी संवेदना  |

बादलों के बीच पहुच कर सुना दिया उसने दर्द भरा वृत्तांत
कहानी की वेदना से धधक उठी थी चिंगारी आकाश में
उमड़ पड़ी बादलों की सारी फ़ौज उसके आह्वान पर

अगले दिन खबर आई, सूखा ग्रस्त इलाके में जम कर हुई बारिस
सैकड़ो गाँव बाढ़ में तबाह |



- चंचल प्रकाशम्