कच्ची सड़क से धूल उड़ाते हुए गुजरते
कार के शीशे से बाहर फेंके जाने पर
उसे अहसास हुआ कितनी गर्मी है बाहर,
शायद वातानुकूलित पिंजड़े के अंदर
सूरज की भी मर्ज़ी नहीं चलती |
कारों का काफिला गुजरने और
धूल का गुबार पसरने के बाद उसे दिखा
सुखतीं फसलें , फसलों को आशाहीन नजरों
से देखते किसानो के सपाट चेहरे के पीछे
छिपा हुआ दर्द और उनके मुरझाए हुए सपने |
उसने अनुमान लगाया शायद यही है
ड्राउट...